Tuesday 8 November 2016

कल से 500 और 1000 के नोट बंद

काले धन को ख़त्म करने की एक जबरदस्त कोशिश में प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी जी ने एक एहम फैसला लेते हुए, आज रात 12 बजे 500 और 1000 के नोट बंद करने का फैसला लिया है. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आम जनता को परेशानी न हो लिए
उन्होंने 72 घंटे तक 500 और 1000 के नोट रेलवे बुकिंग, बस अड्डे की बुकिंग और सबसे जरूरी सरकारी हॉस्पिटल में बिना की रोक टोक चला सकेंगे.
• काले धन के लिए दूसरे देशों से समझौता किया गया, जिसमे सवा लाख करोड़ रुपये का काला धन वापस लाया गया है।
• 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के जरिये लेन देन की व्यवस्था आज मध्य रात्रि से उपलब्ध नहीं होगी
• आज मध्य रात्रि से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानि ये मुद्राएँ कानूनन अमान्य होंगी
• नए नोट उपलब्ध होने तक, शुरूआत में प्रतिदिन 10000 और प्रति सप्ताह 20000 रू से ज़्यादा नहीं निकाल सकेंगे
• 500, 1000 के पुराने नोट 10 से 30 नवंबर तक बैंक, डाकघर में जमा कराएं
• 30 दिसंबर 2016 तक 500 और 1000 के नोट नहीं जमा कर पाने पर 1 मौका और मिलेगा
• ATM से निकली जा सकने वाली राशी की सीमा 2000 रहेगी, बढ़ा कर 4000 कर दी जाएगी
• नॉन कैश कारोबार चलता रहेगा। चेक-डिमांड ड्रॉफ्ट के लेनदेन पर कोई रोक नहीं
आपकी धनराशि आपकी ही रहेगी, आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है : - Narender Modi

Thursday 11 August 2016

कृत्रिम पैरों से चलती है ये हथिनी, विस्फोट में खो दिया था पैर


तकनीक कई बार कितनी उपयोगी साबित होती है। इसका ताजा उदाहरण एक बार फिर हमारे सामने आया है। वह भी एक हथिनी के रूप में। इस बार इस तकनीक के कमाल ने पैर खो चुके जानवरों का फिर से चलना-फिरना संभव किया है। ऐसा हुआ है मोशा नाम की हथिनी के साथ। मोशा को प्रोस्थेटिक (कृत्रिम) पैर लगाया गया है और हाल ही में इसे 9वीं बार यह पैर लगाया गया है। एशियाई हथिनी मोशा ने 7 महीने की उम्र में बारूदी सुरंग विस्फोट में अपना अगला दाहिना पैर खो दिया था।

फ्रैंड्स ऑफ एशियन एलिफैंट फाउंडेशन की तरफ से मनुष्यों और जानवरों के प्रोस्थेटिक पैर का डिजाइन तैयार करने वाले डॉ. थ्रेडचाई जिवाकेट ने मोशा को नया पैर दिया है। इस पैर का वजन 15 किग्रा. है। यह थर्मोप्लॉस्टिक, स्टील व इलास्टोमीटर से बना है। वजन और आकार बढऩे के कारण यह पैर बदले गए हैं।

वो चलना चाहती थी

जिवाकेट बताते हैं कि उन्होनें मोशा को हवा में सूंड़ लहराते देखा। जैसे वह अपने पैरों पर चलना चाहती हो। उसी समय उन्होनें मोशा के लिए प्रोस्थेटिक पैर बनाने का निर्णय किया। बढ़ती उम्र और शरीर के वजन के आधार पर इस कृत्रिम पैर को भी बदलना पड़ता है। 6 सालों में इसे 9 बार बदला गया है। डॉक्टर अब भी पहले से अधिक टिकाऊ और आरामदायक कृत्रिम पैर बनाने के प्रयास में लगे हैं।

Saturday 16 April 2016

जानिये सेब से होने वाले स्वास्थ्य लाभ

“An apple a day keeps the doctor away” यह लाइन सबने कहीं का कहीं सुनी या पढ़ी होगी| इसका मतलब है रोज एक सेव खाने से हम डॉक्टर से हमेशा दूरी बनाये रख सकते है| डॉक्टर के पास जाना किसी को अच्छा नहीं लगता है, और अगर एक सेव खाने से हम इससे बच सकते है तो क्या बात है| एप्पल को एक चमत्कारी फल माना जाता है| इसकी सबसे ज्यादा खेती होती है और यह संग्रह करके भी बहुत अधिक मात्रा में रखा जाता है| सेब में अधिक मात्रा में पौषक तत्व पाये जाते है जो हमारे शरीर के इम्युनिटी सिस्टम को स्ट्रोंग बना देते है और रोजाना सेब खाने से चेहरे पर एक अलग ही ग्लो दिखने लगता है तो आईये आज हम सेब से होने वाले ढेरों फायदों के बारे में बात करेंगें।

अगर आप अपना वजन कम करने के लिए डाइटिंग पर है, तो सेव खाना आपके लिए बहुत फायदेमंद है| क्यूंकि सेव में जीरो कैलोरी होती है, और ढेर सारे पौष्टिक तत्व| मतलब इसे खाने से एक तीर से दो निशाने लगेंगें, आप इसे खाकर अपनी भूख शांत करेंगे और मोटे भी नहीं होंगें और साथ ही बहुत से पौष्टिक तत्व आपके शरीर को मिलेंगें| अगर आप पतले है, तब एप्पल खाना आपके लिए भी फायदेमंद है| आपको इसे खाने से ताकत मिलेगी और आप कमजोर महसूस नहीं करेंगें|
List of element in apple (सेव का साइज़ 150 gm लगभग)
सेव में पाए जाने जाने वाले तत्वमात्रासेव में पाए जाने जाने वाले तत्वमात्रा
विटामिन E0.18 mgविटामिन K2.2 mg
विटामिन C4.6 mgविटामिन A3 mg
पोटेशियम107 mgपानी85.56 gm
कैल्शियम6 mgएनर्जी52 कैलोरी
मैग्नीशियम5 mgवसा(fat)0.17 g
फास्फोरस11 mgकार्बोहाइड्रेट13.81 g
आयरन0.12 mgमैगनीज0.035 mg
प्रोटीन0.26 gविटामिन B60.041 mg
सोडियम1 mgविटामिन B10.017 mg

apple ke fayde यह है कि सेव खाने से बहुत सी बीमारियाँ दूर हो जाती है| सेव खाने से कैंसर, डायबतिज, दिल के रोग, दिमाग के रोग सब दूर हो जाते है| यह रेशेदार फल होता है, जिस वजह से इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जिसे खाने से हमारी भूख शांत होती होती है और जल्दी भूख भी नहीं लगती है| एप्पल से पेट का पाचन तंत्र भी सुचारू रूप से कार्य करता है| इसे खाने के अनगिनत फायदे है इसे ऐसें ही जादुई फल नहीं कहते है| सेव शरीर की अंदरूनी खूबसूरती और बाहरी खूबसूरती दोनों में मददगार है| कहते है हमें रोज कम कम से 3 फल खाने चाहिए और सुबह सुबह तो सेव जरुर खाना चाहिए| सुबह इसे खाकर दूध पीने से पाचन तत्रं सही रहता है और चेहरे की रंगत भी बदलती है| कुछ ही दिनों में आपके चेहरे पर लालिमा छा जाएगी क्यूंकि आपके शरीर में खून की सही मात्रा होगी|
ऐसे बहुत से सेव खाने के गुण फायदे एवम लाभ आज में आपको अपने आर्टिकल बताने वाली हूँ| जिसे पढ़कर आप सेव को सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर नहीं अपनी पसंद से हर रोज खायेंगे| तो चलिए आज जादुई एप्पल खाने के फायदे एवम लाभ जानते है और आपको सेव के गुण (seb ke gun) भी बताते हैं|

एप्पल या सेव खाने के गुण फायदे एवम लाभ

Apple Seb Khane Ke Gun Fayde Benefits Labh In Hindi

  1. एनिमिया बीमारी दूर करता है / Remove Anemia Disease – एनीमिया में शरीर में खून की कमी हो जाती है| इसमें खून नहीं बनता और हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है जिससे खून को लाल रंग मिलता है| सेव में आयरन होता है जो हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद करता है| अगर आप रोज सेव नहीं खा सकते है तो कुछ दिन तक रोज खाएं आपके शरीर में आयरन की कमी दूर होगी और एनीमिया रोग दूर होगा|
  2. कोलेस्ट्रोल कम करता है / Reduce Cholestrol – सेव में मौजूद फाइबर कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है| ये फाइबर पेट में जाकर fat से मिलता है और कोलेस्ट्रोल को कम करता है|
  3. कैंसर के खतरे को कम करता है / Reduce Risk of Developing Cancer – सेव में मौजूद तत्व पेट, स्तन कैंसर होने से रोकते है| ये व्यक्ति के शरीर में मोजूद कोशिकाएं को कैंसर से लड़ने की ताकत देते है|
  4. सफ़ेद और मजबूत दांत / white and healthy teeth – सेव आपके ब्रश की जगह नहीं ले सकता है लेकिन इसे चबा चबा कर खाने से आपके दाँतों को सफेदी मिलती है| ऐसा करने से मुंह में बैक्टीरिया नहीं होते और उनसे जुडी कोई बीमारी भी नहीं होती है|
  5. डायाबटीज control – अगर आप रोज एप्पल खाते है तो आपको 28% कम चांस है डायाबटीज होने के| इसमें मोजूद तत्व शरीर में गुलुकोस की कमी पुरे करते है जिससे आपको इन्सुलिन लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी|
  6. वजन संतुलित रखे / Maintain weight – मोटापा बहुत सी बीमारी की जड़ होता है और इसे कम करना हमारे लिए बहुत बड़ा सर दर्द होता है| वजन कम करने वालों के मन में हमेशा यह चलता रहता है कि वो क्या खा सकते और क्या नहीं, किस प्रकार अपनी भूख को शांत करें यही सोचते है| सेव में फाइबर अधिक होता है जिससे वजन नहीं बढ़ता है|
  7. अल्जाइमर बीमारी से बचाए / Avoid Alzheimer – अल्जाइमर मष्तिष्क से जुडी बीमारी है| एक शोध में पाया गया है कि रोज सेव का जूस पीने से अल्जाइमर बीमारी से हमेशा बचा जा सकता है| सेव मष्तिष्क की कोशिकाओं की रक्षा करता है जिससे अल्जाइमर जैसे रोग नहीं होते है|
  8. पाचन सही रखे / Maintain digest system – पाचन के लिए सेव बहुत अच्छा है| अगर हमारा पाचन तंत्र सही ढंग से काम ना करे तो समझो पूरा शरीर बीमार महसूस करता है| पाचन से ही शरीर के बाकि अंग अच्छे से काम करते है| सेव कहने से पाचन अच्छा होता है| सेव को छिलका सहित खाएं तो फायदा अधिक होगा|
  9. प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छा रखे / Boost immune system- सेव खाने से इम्मुन सिस्टम अच्छे से काम करता है| कोई भी रोग जल्दी हमारे शरीर पर प्रभाव नहीं डालते है|
  10. पेट मजबूत करे – आजकल का खानपान ऐसा हो गया है कि हमारा पेट बहुत जल्दी ख़राब हो जाता है| हम कई बार ऐसी जहरीली चीजें खा लेते है जो शरीर पर तुरंत तो असर नहीं करती लेकिन वो हमारे शरीर पर बुरा असर डालती है| सेव खाने से पेट की गन्दगी निकल जाती है और पेट मजबूत होता है|
  11. पथरी(stone) से बचाए – गुर्दे में होने वाली पथरी को सेव खा कर रोका जा सकता है| रोज सेव खाने से शरीर में पथरी नहीं होती|
  12. कब्ज / Loose motion – loose motion और कब्ज दोनों ही हमारे पेट से जुड़े रोग है| सेव खाने से ये रोग दूर होते है क्यूंकि इसमें फाइबर अधिक है जिससे कब्ज जैसी शिकायत नहीं होती| छोटे बच्चों को loose motion होने पर सेव को पीस कर खिलाना चाहिए आराम मिलता है|
  13. हड्डियाँ मजबूत करे – सेव में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूती देता है|
  14. चेहरा की खूबसूरती बढ़ाये – सेव खाने से फेस के काले धब्बे दूर होते है फेस पर glow आता है और आप तंदरुस्त लगते है|
आज एप्पल के बेनिफिट्स जान कर आप इसे अपने आहार में जरुर शामिल करिए| यह बहुत अच्छा फल है जिसे खाने से आपके शरीर को सिर्फ फायदे ही मिलेंगे| सेव खाने के गुण फायदे एवम लाभ पढ़ कर आपकी इस फल के प्रति क्या प्रतिक्रिया है हमें जरुर बताएं|

Thursday 14 April 2016

कालसर्प योग (Kaal Sarp Dosh) भी शुभ फल देता है

कुण्डली में राहु और केतु की उपस्थिति के अनुसार व्यक्ति को कालसर्प योग (Kaalsarp Dosh) लगता है. कालसर्प योग को अत्यंत अशुभ योग माना गया है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है उसका पतन होता है.यह इस योग का एक पक्ष है
जबकि दूसरा पक्ष यह भी है कि यह योग व्यक्ति को अपने क्षेत्र में सर्वक्षेष्ठ बनता है।

कालसर्प योग (Kaalsarp Yog) का प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथों में विशेष जिक्र नहीं आया है.तकरीबन सौ वर्ष पूर्व ज्योर्तिविदों ने इस योग को ढूंढ़ा.इस योग को हर प्रकार से पीड़ादायक और कष्टकारी बताया गया.आज बहुत से ज्योतिषी इस योग के दुष्प्रभाव का भय दिखाकर लोगों से काफी धन खर्च कराते हैं.ग्रहों की पीड़ा से बचने के लिए लोग खुशी खुशी धन खर्च भी करते हैं.परंतु सच्चाई यह है कि जैसे शनि महाराज सदा पीड़ा दायक नहीं होते उसी प्रकार राहु और केतु द्वारा निर्मित कालसर्प योग हमेंशा अशुभ फल ही नहीं देते.

अगर आपकी कुण्डली में कालसर्प योग (Kaalsarp Yog) है और इसके कारण आप भयभीत हैं तो इस भय को मन से निकाल दीजिए.कालसर्प योग से भयाक्रात होने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि इस योग ने व्यक्तियों को सफलता की ऊँचाईयों पर पहुंचाया है.कालसर्प योग से ग्रसित होने के बावजूद बुलंदियों पर पहुंचने वाले कई जाने माने नाम हैं जैसे धीरू भाई अम्बानी, सचिन तेंदुलकर, ऋषिकेश मुखर्जी, पं. जवाहरलाल नेहरू, लता मंगेशकर आदि.  

ज्योतिषशास्त्र कहता है कि राहु और केतु छाया ग्रह हैं जो सदैव एक दूसरे से सातवें भाव में होते हैं.जब सभी ग्रह क्रमवार से इन दोनों ग्रहों के बीच आ जाते हैं तब यह योग बनता है. राहु केतु शनि के समान क्रूर ग्रह माने जाते हैं और शनि के समान विचार रखने वाले होते हैं.राहु जिनकी कुण्डली में अनुकूल फल देने वाला होता है उन्हें कालसर्प योग में महान उपलब्धियां हासिल होती है.जैसे शनि की साढ़े साती व्यक्ति से परिश्रम करवाता है एवं उसके अंदर की कमियों को दूर करने की प्रेरणा देता है इसी प्रकार कालसर्प व्यक्ति को जुझारू, संघर्षशील और साहसी बनाता है.इस योग से प्रभावित व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करता है और निरन्तर आगे बढ़ते जाते हैं.

कालसर्प योग में स्वराशि एवं उच्च राशि में स्थित गुरू, उच्च राशि का राहु, गजकेशरी योग, चतुर्थ केन्द्र विशेष लाभ प्रदान करने वाले होते है.अगर सकारात्मक दृष्टि से देखा जाए तो कालसर्प योग वाले व्यक्ति असाधारण प्रतिभा एवं व्यक्तित्व के धनी होते हैं.हो सकता है कि आपकी कुण्डली में मौजूद कालसर्प योग आपको भी महान हस्तियों के समान ऊँचाईयों पर ले जाये अत: निराशा और असफलता का भय मन से निकालकर सतत कोशिश करते रहें आपको कामयाबी जरूरी मिलेगी.इस योग में वही लोग पीछे रह जाते हैं जो निराशा और अकर्मण्य होते हैं परिश्रमी और लगनशील व्यक्तियों के लिए कलसर्प योग राजयोग देने वाला होता है.

कालसर्प योग (Kaalsarp Yog) में त्रिक भाव एवं द्वितीय और अष्टम में राहु की उपस्थिति होने पर व्यक्ति को विशेष परेशानियों का सामना करना होता है परंतु ज्योतिषीय उपचार से इन्हें अनुकूल बनाया जा सकता है. 

यह नियम करें और हमेशा स्वस्थ रहें


हर कोई अच्छी सेहत और स्वस्थ शरीर की कामना करता हैं। अच्छी सेहत के लिए समतोल आहार लेना जितना आवश्यक है उतना ही आवश्यक हैं आहार को खाने और पचाने के नियमों का पालन करना। इस लेख में हम ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण नियमों का उल्लेख कर रहे है जो आहार के सही पाचन के लिए आवश्यक हैं।
 
जितना महत्त्व हम खाने को देते हैं उतना ही महत्त्व हमें खाना खाने के बाद की जानेवाली क्रिया को भी देना चाहिए। स्वस्थ शरीर और मजबूत पाचन शक्ति के लिए खाना खाने के बाद निचे दी हुई 10 चीजो को नहीं करना चाहिए।
  1. फल / Fruits : खाना खाने के तुरंत बाद कोई भी फल नहीं खाना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद कोई भी फल खाने से एसिडिटी बढ़ जाती है और गैस की शिकायत हो सकती हैं। अगर आपको फल खाना ही है तो खाना खाने के 2 घंटे बाद या खाना खाने के 1 घंटे पहले कोई फल खाना चाहिए।
  2. चाय / Tea : कुछ लोगो को खाना खाने के तुर्रंत बाद चाय पिने की आदत होती हैं। यह एक बुरी आदत हैं। चाय पिने से एसिडिटी बढ़ सकती है और चाय पिने की वजह से आहार से मिलनेवाले प्रोटीन का ठीक से अवशोषण नहीं होता हैं। अगर चाय पीना है तो खाना खाने के 2 घण्टे बाद ही पीना चाहिए।
  3. नहाना / Bath : कुछ लोगों को खाना खाने के बाद नहाने की आदत होती हैं। खाने के तुरंत बाद नहाने के कारण रक्त का प्रवाह पेट की जगह हात और पैर की तरफ अधिक बढ़ जाता हैं। इस कारण पाचन शक्ति कमजोर हो जाती हैं।
  4. ठंडा पानी / Cold water : आजकल खाने के तुरंत बाद फ्रिज का ठंडा पानी या शीत पेय पिने का चलन ज्यादा बढ़ गया हैं। लोग पहले तो भारी खाना खाते है और फिर ऊपर से ठंडा पानी भी पीते हैं। ठंडा पानी पिने से जाठराग्नि शांत हो जाती है और आहार का पाचन ठीक से नहीं होता हैं। ठंडा पानी पिने की जगह आप खाना खाते समय थोड़ा-थोड़ा साधारण तापमान का पानी ले सकते हैं। खाना खाते समय कोष्ण जल / warm water पीना सेहत के लिहाज से सबसे बेहतर हैं।
  5. चलना / Walking : आपने यह जरूर सुना होंगा की खाने के बाद तुरंत 100 कदम (शत पावली) चलना चाहिए। खाना खान के तुरंत बाद चलने से पेट का रक्त प्रवाह कम हो जाता है जिससे आहार का पाचन नहीं होता हैं। खाना खाने 10 से 15 मिनट के बाद अवश्य चलना चाहिए और यह सेहत के लिए अच्छा भी हैं। आप चाहे तो खाना खाने के बाद 5 से 10 मिनिट तक वाम कुक्षी / left lateral position में लेट सकते हैं। इससे पाचन में मदद हो सकती हैं।
  6. पैंट ढीला करना / Loosening Belt : कुछ लोग खाना खाने के बाद बेल्ट को ढीला कर देते हैं। असल में इतना आहार नहीं लेना चाहिए की आपका पेट पूरा भर जाये और आपको पैंट को ढीला करने की जरुरत पढ़े। खाना खाने के बाद बेल्ट को ज्यादा ढीला न करे, ऐसा करने से मोटापा बढ़ता है और कभी-कभी आंत में गांठ भी पड़ सकती हैं।
  7. सोना / Sleep : खाने कु तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। खाने के बाद तुरंत सोने से खाना ऊपर की और आने से एसिडिटी बढ़ती हैं और पाचन ठीक से नहीं होता हैं। आप चाहे तो केवल 10 मिनिट के लिए वाम कुक्षी में लेट सकते हैं। अगर बैठने या चलने में असमर्थ है तो पूरा लेटने की जगह पीछे तकिया लगाकर सिर की बाजू को पेट की तुलना में ऊपर उठाकर लेटना चाहिए।
  8. पानी / Water : कुछ लोग खाना खाने से तुरंत पहले या खाना खाने के तुरंत बाद अधिक प्रमाण में पानी पीते हैं। यह पाचन और स्वास्थ्य की दृष्टी में हानिकारक हैं। अगर आपको पानी पीना है तो खाना खाते समय थोड़ा- थोड़ा पानी पिए। आप खाना खाने के 1 घंटा पहले या खाना खाने के 2 घंटे बाद पानी ले सकते हैं।
  9. धूम्रपान / Smoking : कुछ लोगों को खाना खाने के तुरंत बाद धूम्रपान करने के शौक रहता हैं। धूम्रपान ऐसे तो किसी भी व्यक्ति ने कभी भी नहीं करना चाहिए पर अगर आप खाना खाने के बाद धूम्रपान करते हैं तो यह एक सिगरेट का असर 10 सिगरेट के समान होता है और आपको कैंसर होने खतरा 50 % से बढ़ा देता हैं।
  10. बैठना / Sitting : यह आदत काम-काजी लोगों को अधिक होती हैं। अक्सर दोपहर का खाना / lunch time खाने के बाद काफी समय तक एक खुर्ची पर बैठे रहते हैं। खाना खाने के 15 मिनट बाद चलने की जगह लंबे समय तक बैठे रहने से यह आदत मोटापे के साथ अनेक गंभीर समस्या को आमंत्रण देने जैसा होता हैां।
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Tuesday 5 April 2016

राशियों पर शनि का प्रभाव (Saturn’s Influence in Different Zodiac Signs)



जैसे कुछ ग्रहों के साथ शनि देव शुभ होते हैं और कुछ के साथ अशुभ फलदायी, उसी प्रकार कुछ 12 राशियों में से कुछ में शनि लाभदायक तो कुछ में हानिकारक होते हैं.आपकी कुण्डली में शनि किस राशि में हैं और यह आपको किस प्रकार से प्रभावित करेंगे आइये इसे देखें.


मेष राशि में शनि: (Saturn in Aries)

राशिचक्र में सबसे पहला स्थान मेष राशि का है.इस राशि में शनि नीच (Saturn is debilitated in Aries) का होता है.शनि नीच होने से यह अशुभ फलदायी होता है.इस राशि शनि की स्थिति से व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है.इस राशि में जिनके शनि होता है शनि उन्हें हठी और क्रोधी बनाता है.यह व्यक्ति को बुरी आदतों की ओर ले जाता है. मेष राशि में जब शनि की महादशा (Shani Mahadasha in Aries) चलती है उस समय रिश्तेदारों एवं मित्रों के साथ विरोध उत्पन्न होता है.इस समय सम्बन्धों में दूरियां भी बढ जाती है.


वृष राशि में शनि: (Saturn in Taurus)
वृष राशि राशिचक्र में दूसरी राशि है(Taurus is the 2nd sign).जिस व्यक्ति की कुण्डली मे शनि इस राशि में होता है वह व्यक्ति असत्य भाषण करने वाला होता है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता यह अपने स्वार्थ के लिए किसी को धोखा दे सकता है.यह काफी चतुर और शक्तिशाली होता है.काम की भावना इनमें अधिक रहती है.कई स्त्रियों अथवा पुरूष से इनके सम्बन्ध हो सकते हैं अगर कुण्डली अन्य शुभ ग्रह की स्थिति न हो.


मिथुन: (Saturn in Gemini)
तीसरी राशि है मिथुन राशि.इस राशि में शनि का होने पर यह व्यक्ति को दु:साहसी बनाता है.व्यक्ति चतुर और धूर्त प्रकृति का होता है.राजनीति एवं कुटनीतिक क्षेत्र में इन्हें विशेष सफलता मिलती है.इनमें दया और सद्भावना की कमी होती है.संतान की दृष्टि से यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है क्योंकि यह अल्प संतान का योग निर्मित करता है.साहित्य, संगीत एवं सौन्दर्य के प्रति व्यक्ति में विशेष लगाव रहता है.


कर्क राशि: (Saturn in Cancer)
राशि चक्र की चौथी राशि है कर्क राशि.जिस व्यक्ति की कुण्डली में चतुर्थ भाव में शनि होता है वह व्यक्ति जिद्दी और दूसरों से ईर्ष्या करने वाला होता है.स्वार्थ की भावना इनमें प्रबल रहती है.मातृ पक्ष से इन्हें सुख की कमी महसूस होती है.जब शनि की महादशा कर्क राशि में होती है उस समय इन्हें विशेष कष्ट होता है.शनि की महादशा में इनें पारिवारिक जीवन में उथल पुथल, मानसिक अशांति, अस्वस्थता मिलती है.


सिंह राशि: (Saturn in Leo)
सिंह राशि राशि चक्र में पांचवीं राशि है. इस राशि में शनि के होने से शनि व्यक्ति को गंभीर और चिंतनशील बनाता है.व्यक्ति अपने कार्य निपुण और परिश्रमी होता है.इस राशि में शनि से प्रभावित व्यक्ति अपनी बातों पर अडिग रहने वाला होता है.गोचर में इस राशि में जब शनि की महादशा चलती है उस समय इन्हें अत्यधिक परिश्रम करना होता है.अनावश्यक रूप से धन की हानि होती है और मन में निराशात्मक विचार आते रहते हैं.


कन्या राशि: (Saturn in Virgo)
जिनकी कुण्डली में कन्या राशि में शनि (Shani in Virgo Rashi) होता है वे परोपकारी और गुणवान होते हैं.इस राशि में जिनके शनि होता है वे धनवान और शक्तिशाली होते हैं.कम बोलने वाले और लेखन एवं गंभीर विषयों में रूचि रखने वाले होते हैं.ये सामाजिक कार्यों में शामिल रहते हैं.पारम्परिकता एवं पुराने विचारों में यकीन रखने वाले होते हैं.इस राशि में शनि की महादशा में इन्हें यश और लाभ मिलता है.


तुला रशि: (Saturn in Libra)
तुला राशि में जिनके शनि (Saturn in Libra) होता है उनके लिए शनि उत्तम फल देने वाला होता है.यह व्यक्ति को स्वाभिमानी, महत्वाकांक्षी और भाषण कला में निपुण बनाता है.यह व्यक्ति को स्वतंत्र विचारों वाला और चतुर बनाता है.आर्थिक रूप से मजबूत और कुशल मानसिक क्षमता प्रदान करता है.


वृश्चिक राशि: (Saturn in Scorpio)
शनि देव जिनकी कुण्डली में वृश्चिक राशि में होते हैं वह व्यक्ति जोशीला और क्रोधी होता है.इनमें अभिमान और वैराग्य की भावना रहती है.इनका स्वभाव गंभीर और ईष्यालु होता है.इस राशि में शनि की महादशा जब चलती है तब आर्थिक क्षति और मान सम्मान की हानि होती है.


धनु राशि: (Saturn in Sagittarius)
राशिचक्र में शनि का स्थान नवम है. इस राशि में शनि (Shani in Dhanu Rashi) होने पर यह व्यक्ति को व्यावहारिक और ज्ञानवान बनाता है.व्यक्ति परिश्रमी और नेक विचारों वाला होता है.चतुराई और अक्लमंदी से काम करने वाला एवं दूसरों के उपकार को मानने वाला होता है.इस राशि में जब शनि की महादशा चलती है उस समय व्यक्ति को सुख और उत्तम फल प्राप्त होता है.शिक्षा के क्षेत्र में महादशा के दौरान सफलता मिलती है.


मकर राशि: (Saturn in Capricorn)
राशि चक्र की दशवीं राशि यानी मकर राशि में शनि व्यक्ति को परिश्रमी और ईश्वर के प्रति आस्थावान बनाता है.कारोबार में प्रगति, आर्थिक लाभ, ज़मीन जायदाद का लाभ यह शनि दिलाता है.शनि इनकी प्रकृति शंकालु बनाता है.लालच और स्वर्थ की भावना भी इनके अंदर रहती है.


कुम्भ राशि: (Saturn in Aquarius)
जिनकी कुण्डली में शनि दशम भाव यानी कुम्भ राशि में होता है वह व्यक्ति अहंकारी होता है.आर्थिक रूप से सामान्य रहते हैं.कूटनीतिक क्षेत्र में सफल और बुद्धिमान होते हैं.नेत्र रोग से पीड़ित होते हैं.व्यवहार कुशल और भाग्य के धनी होते हैं.


मीन राशि: (Saturn in Pisces)
राशिचक्र की 12वीं राशि है मीन.मीन राशि में शनि (Shani in Meen Rashi) स्थित होने पर यह व्यक्ति को गंभीर बनाता है.व्यक्ति दूसरों से ईर्ष्या रखने वाला व महत्वाकांक्षी होता है.इस राशि में शनि के होने पर व्यक्ति उदार और समाज में प्रतिष्ठित होता है.शनि इनकी आर्थिक स्थिति भी समान्य बनाए रखता है.


इस प्रकार शनि विभिन्न राशियों में फल और प्रभाव देता है.

Wednesday 30 March 2016

पथरी (किडनी) का आयुर्वेदिक उपचार



एक पौधा होता है जिसे हिंदी मे पत्थरचट्टा, पाषाणभेद, पणफुट्टी, भष्मपथरी कहते है, फोटो देखे निचे ... इसका वैज्ञानिक नाम है "bryophyllum pinnatum" !

सेवन की विधि : दो पत्ते तोड़े, उसको अच्छी तरह पानी से धोने के बाद सुबह सुबह खाली पेट चबा कर खाले, हलके गरम पानी के साथ !
एक हफ्ते के अन्दर पथरी विघटित हो कर शरीर से निकल जाएगी

पथरी का सबसे बढ़िया इलाज !
जरूर पढ़े share करे !

सबसे पहले कुछ परहेज !
मित्रो जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )
क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|

आयुर्वेदिक इलाज !
पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!

होमियोपेथी इलाज !
अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये|
(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |
इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महिने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |

ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???
इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|

वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone
वृक्कों गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प उठता है।

उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण होता है।
लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान रहता है।
क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।
* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।
* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ होता है।
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।

क्या न खाएं?
* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते हैं।
* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।
* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करें।

गुर्दे की पथरी के घरेलू उपाय


दुनिया में लाखों ऐसे मरीज है जो गुर्दे की पथरी से परेशान है। यह रोग पीड़ा देने के साथ साथ और भी अनेक तकलीफ पैदा करता है।
जब नमक एवं अन्य खनिज (जो आपके मूत्र में मौजूद होते हैं) वे एक दूसरे के संपर्क में आते है तो पथरी का निर्माण होने लगता है जो गुर्दे की पथरी के रूप में जाना जाता है।
गुर्दे की पथरी का आकार अलग अलग हो सकता है; कुछ पथरी रेत के दानों की तरह बहुत हीं छोटे आकार के होते हैं तो कुछ बहुत हीं बड़े। आमतौर पर छोटे मोटे पथरी मूत्र के जरिये शरीर के बाहर निकल जाया करते हैं लेकिन जो पथरी आकार में बड़े होते हैं वे मूत्र निष्काशन के समय बाहर नहीं निकल पाते एवं मूत्र के बाहर निकलने में बहुत ही बाधा डालते हैं जिससे बहुत हीं पीड़ा उत्पन्न होती है।

गुर्दे की पथरी होने के कुछ सामान्य लक्षण

जब गुर्दे की पथरी मूत्रवाहिनी में घुमती है या इधर से उधर होती है तब बहुत हीं पीड़ा देती है। यदि आपको मूत्र विसर्जन के समय अक्सर पीड़ा का एहसास होता हो तो यह गुर्दे की पथरी का एक लक्षण हो सकता है। पीड़ा के अलावा मूत्र विसर्जन के वक़्त पेशाब में जलन हो तो यह काफी हद तक इस बात का संकेत देता है कि आपको गुर्दे की पथरी की समस्या है। लेकिन पेशाब में जलन कई और कारणों से भी हो सकते हैं। इसलिए घबराएं नहीं और अगर आपको पेशाब में जलन की शिकायत अक्सर होती हो तो डाक्टरी जाँच अवश्य करवाएं। भूख में कमी या भूख मिटना, पेशाब में बदबू, पेशाब में रक्त के अंश का पाया जाना एवं चक्कर आना गुर्दे की पथरी होने के कुछ अन्य लक्षण हैं।
मासिक धर्म के दौरान महिलाएं को अगर पेट (उदर) के निचले भाग में अक्सर दर्द की शिकायत रहती हो तो यह भी गुर्दे की पथरी होने का संकेत हो सकता है।

गुर्दे की पथरी से निजात पाने के कुछ कारगर घरेलू उपाय

अंगूर का सेवन करें : अंगूर गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में उत्कृष्ट रूप से कार्य करता है क्योंकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर में अलबूमीन और सोडियम क्लोराइड बहुत हीं कम मात्रा में होते हैं जिनकी वजह से इन्हें गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए बहुत हीं उत्तम माना जाता है। 

विटामिन बी 6 लिया करें विटामिन बी 6 गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं प्रभावकारी साबित होता है।
अगर विटामिन बी -6 को विटामिन बी ग्रुप के अन्य विटामिन के साथ सेवन किया जाये तो गुर्दे की पथरी के इलाज में काफी सहायता मिलती है। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया है कि इस बी विटामिन की 100 से 150 मिलीग्राम की एक दैनिक खुराक गुर्दे की पथरी की चिकित्सीय उपचार में बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह विटामिन मष्तिष्क सम्बन्धी विकारों को भी दूर करता है।

तुलसी के पत्तों में विटामिन बी पाया जाता है इसलिए तुलसी के कुछ ताजे पत्तों को रोजाना चबाया करें।
प्याज (कांदा) खाएं : प्याज में गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए औषधीय गुण पाए जाते हैं। अगर आप सही ढंग से इस घरेलू उपचार का पालन करेंगे तो आपको इसका हैरान कर देने वाला परिणाम मिलेगा। आपको इसका रस पीना है लेकिन पके हुए प्याज का। इसके लिए आप दो मध्यम आकर के प्याज लेकर उन्हें अच्छी तरह से छिल लें। फिर एक बर्तन में एक ग्लास पानी डालें और दोनों प्याज को मध्यम आंच पर उसमें पका लें। जब वे अच्छी तरह से पक जाये तो उन्हें ठंढा होने दें फिर उन्हें ब्लेंडर में डालकर अच्छी तरह से ब्लेंड कर लें। तत्पश्चात उनके रस को छान लें एवं इस रस का तीन दिनों तक लगातार सेवन करते रहे। यह घरेलू उपाय राम बाण का काम करता है और दूसरे दिन से हीं गुर्दे की पथरी को बाहर निकालना शुरू कर देता है।

Tuesday 29 March 2016

अपशकुन के बारे में जाने

अपशकुन  क्या है?

कुछ लक्षणों को देखते ही व्यक्ति के मन में आषंका उत्पन्न हो जाती है कि उसका कार्य पूर्ण नहीं होगा। कार्य की अपूर्णता को दर्षाने वाले ऐसे ही कुछ लक्षणों को हम अपषकुन मान लेते हैं।


अपशकुनों के बारे में हमारे यहां काफी कुछ लिखा गया है, और उधर पष्चिम में सिग्मंड फ्रॉयड समेत अनेक लेखकों-मनोवैज्ञानिकों ने भी काफी लिखा है। यहां पाठकों के लाभार्थ घरेलू उपयोग की कुछ वस्तुओं, विभिन्न जीव-जंतुओं, पक्षियों आदि से जुड़े कुछ अपशकुनों का विवरण प्रस्तुत है।

झाड़ू का अपशकुन 

• नए घर में पुराना झाड़ू ले जाना अशुभ होता है।

• उलटा झाडू रखना अपषकुन माना जाता है।

• अंधेरा होने के बाद घर में झाड़ू लगाना अशुभहोता है। इससे घर में दरिद्रता आती है।

• झाड़ू पर पैर रखना अपशकुन  माना जाता है। इसका अर्थ घर की लक्ष्मी को ठोकर मारना है।

• यदि कोई छोटा बच्चा अचानक झाड़ू लगाने लगे तो अनचाहे मेहमान घर में आते हैं।

• किसी के बाहर जाते ही तुरंत झाड़ू लगाना अशुभ होता है।

दूध का अपषकुन

• दूध का बिखर जाना अशुभ होता है।

• बच्चों का दूध पीते ही घर से बाहर जाना अपशकुन  माना जाता है।

• स्वप्न में दूध दिखाई देना अशुभ माना जाता है। इस स्वप्न से स्त्री संतानवती होती है।

पशुओं का अपशकुन 

• किसी कार्य या यात्रा पर जाते समय कुत्ता बैठा हुआ हो और वह आप को देख कर चौंके, तो विन हो।

• किसी कार्य पर जाते समय घर से बाहर कुत्ता शरीर खुजलाता हुआ दिखाई दे तो कार्य में असफलता मिलेगी या बाधा उपस्थित होगी।

• यदि आपका पालतू कुत्ता आप के वाहन के भीतर बार-बार भौंके तो कोई अनहोनी घटना अथवा वाहन दुर्घटना हो सकती है।

• यदि कीचड़ से सना और कानों को फड़फड़ाता हुआ दिखाई दे तो यह संकट उत्पन्न होने का संकेत है।

• आपस में लड़ते हुए कुत्ते दिख जाएं तो व्यक्ति का किसी से झगड़ा हो सकता है।

• शाम के समय एक से अधिक कुत्ते पूर्व की ओर अभिमुख होकर क्रंदन करें तो उस नगर या गांव में भयंकर संकट उपस्थित होता है।

• कुत्ता मकान की दीवार खोदे तो चोर भय होता है।

• यदि कुत्ता घर के व्यक्ति से लिपटे अथवा अकारण भौंके तो बंधन का भय उत्पन्न करता है।

• चारपाई के ऊपर चढ़ कर अकारण भौंके तो चारपाई के स्वामी को बाधाओं तथा संकटों का सामना करना पड़ता है।

• कुत्ते का जलती हुई लकड़ी लेकर सामने आना मृत्यु भय अथवा भयानक कष्ट का सूचक है।

• पशुओं के बांधने के स्थान को खोदे तो पशु चोरी होने का योग बने।

• कहीं जाते समय कुत्ता श्मषान में अथवा पत्थर पर पेषाब करता दिखे तो यात्रा कष्टमय हो सकती है, इसलिए यात्रा रद्द कर देनी चाहिए। गृहस्वामी के यात्रा पर जाते समय यदि कुत्ता उससे लाड़ करे तो यात्रा अषुभ हो सकती है।

• बिल्ली दूध पी जाए तो अपशकुन  होता है।

• यदि काली बिल्ली रास्ता काट जाए तो अपशकुन  होता है। व्यक्ति का काम नहीं बनता, उसे कुछ कदम पीछे हटकर आगे बढ़ना चाहिए।

• यदि सोते समय अचानक बिल्ली शरीर पर गिर पड़े तो अपशकुन  होता है।

• बिल्ली का रोना, लड़ना व छींकना भी अपशकुन है।

• जाते समय बिल्लियां आपस में लड़ाई करती मिलें तथा घुर-घुर शब्द कर रही हों तो यह किसी अपशकुन  का संकेत है। जाते समय बिल्ली रास्ता काट दे तो यात्रा पर नहीं जाना चाहिए।

• गाएं अभक्ष्य भक्षण करें और अपने बछड़े को भी स्नेह करना बंद कर दें तो ऐसे घर में गर्भक्षय की आषंका रहती है। पैरों से भूमि खोदने वाली और दीन-हीन अथवा भयभीत दिखने वाली गाएं घर में भय की द्योतक होती हैं।

• गाय जाते समय पीछे बोलती सुनाई दे तो यात्रा में क्लेशकारी होती है।

• घोड़ा दायां पैर पसारता दिखे तो क्लेश होता है।

• ऊंट बाईं तरफ बोलता हो तो क्लेशकारी माना जाता है।

• हाथी बाएं पैर से धरती खोदता या अकेला खड़ा मिले तो उस तरफ यात्रा नहीं करनी चाहिए। ऐसे में यात्रा करने पर प्राण घातक हमला होने की संभावना रहती है।

• प्रातः काल बाईं तरफ यात्रा पर जाते समय कोई हिरण दिखे और वह माथा न हिलाए, मूत्र और मल करे अथवा छींके तो यात्रा नहीं करनी चाहिए।

• जाते समय पीठ पीछे या सामने गधा बोले तो बाहर न जाएं।

पक्षियों का अपशकुन 

सारस बाईं तरफ मिले तो अशुभ फल की प्राप्ति होती है।

सूखे पेड़ या सूखे पहाड़ पर तोता बोलता नजर आए तो भय तथा सम्मुख बोलता दिखाई दे तो बंधन दोष होता है।

मैना सम्मुख बोले तो कलह और दाईं तरफ बोले तो अषुभ हो।

बत्तख जमीन पर बाईं तरफ बोलती हो तो अशुभ फल मिले।

बगुला भयभीत होकर उड़ता दिखाई दे तो यात्रा में भय उत्पन्न हो।

यात्रा के समय चिड़ियों का झुंड भयभीत होकर उड़ता दिखाई दे तो भय उत्पन्न हो।

घुग्घू बाईं तरफ बोलता हो तो भय उत्पन्न हो। अगर पीठ पीछे या पिछवाड़े बोलता हो तो भय और अधिक बोलता हो तो शत्रु ज्यादा होते हैं। धरती पर बोलता दिखाई दे तो स्त्री की और अगर तीन दिन तक किसी के घर के ऊपर बोलता दिखाई दे तो घर के किसी सदस्य की मृत्यु होती है।

कबूतर दाईं तरफ मिले तो भाई अथवा परिजनों को कष्ट होता है।

लड़ाई करता मोर दाईं तरफ शरीर पर आकर गिरे तो अशुभ माना जाता है।

लड़ाई करता मोर दाईं तरफ शरीर पर आकर गिरे तो अशुभ माना जाता है।

अपशकुनों से मुक्ति तथा बचावके उपाय

विभिन्न अपशकुनों से ग्रस्त लोगों को

निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

यदि काले पक्षी, कौवा, चमगादड़

आदि के अपशकुन  से प्रभावित हों तो अपने इष्टदेव का ध्यान करें या अपनी राषि के अधिपति देवता के मंत्र का जप करें तथा धर्मस्थल पर तिल के तेल का दान करें।

अपशकुनों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए धर्म स्थान पर प्रसाद चढ़ाकर बांट दें।

छींक के दुष्प्रभाव से बचने के लिए निम्नोक्त मंत्र का जप करें तथा चुटकी बजाएं।

क्क राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम जपेत्‌ तुल्यम्‌ राम नाम वरानने॥

अषुभ स्वप्न के दुष्प्रभाव को समाप्त करने के लिए महामद्यमृत्युंजय के निम्नलिखित मंत्र का जप करें।

क्क ह्रौं जूं सः क्क भूर्भुवः स्वः क्क त्रयम्बकम्‌ यजामहे सुगन्धिम्‌ पुच्च्िटवर्(नम्‌ उर्वारूकमिव बन्धनान्‌ मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात क्क स्वः भुवः भूः क्क सः जूं ह्रौं॥क्क॥

श्री विष्णु सहस्रनाम पाठ भी सभी अपषकुनों के प्रभाव को समाप्त करता है।

सर्प के कारण अषुभ स्थिति पैदा हो तो जय राजा जन्मेजय का जप 21 बार करें।

रात को निम्नोक्त मंत्र का 11 बार जप कर सोएं, सभी अनिष्टों से भुक्ति मिलेगी।

बंदे नव घनष्याम पीत कौषेय वाससम्‌। सानन्दं सुंदरं शुद्धं श्री कृष्ण प्रकृते

लाल किताब के अचूक उपाय- BEST LAL KITAB REMEDIES


घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।

घर में स्थायी सुख-समृद्धि हेतु पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रह कर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिला कर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालने से घर में लम्बे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी का वास होता है।

घर में बार-बार धन हानि हो रही हो तों वीरवार को घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखी (दो मुख वाला) दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए की भविष्य में घर में धन हानि का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए पानी में बहा देना चाहिए।

काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसार कर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी।

घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए घर में सोने का चौरस सिक्का रखें। कुत्ते को दूध दें। अपने कमरे में मोर का पंख रखें।

अगर आप सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो आपको पके हुए मिट्टी के घड़े को लाल रंग से रंगकर, उसके मुख पर मोली बांधकर तथा उसमें जटायुक्त नारियल रखकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।

अखंडित भोज पत्र पर 15 का यंत्र लाल चन्दन की स्याही से मोर के पंख की कलम से बनाएं और उसे सदा अपने पास रखें।

व्यक्ति जब उन्नति की ओर अग्रसर होता है, तो उसकी उन्नति से ईर्ष्याग्रस्त होकर कुछ उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वे ही उसकी उन्नति के मार्ग को अवरूद्ध करने लग जाते हैं, ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। ऐसी ही परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रात:काल सात बार हनुमान बाण का पाठ करें तथा हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाए¡ और पाँच लौंग पूजा स्थान में देशी कर्पूर के साथ जलाएँ। फिर भस्म से तिलक करके बाहर जाए¡। यह प्रयोग आपके जीवन में समस्त शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होगा, वहीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करने में सक्षम होंगे।

कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।

अगर अचानक धन लाभ की स्थितियाँ बन रही हो, किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो, तो गोपी चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है।

अकस्मात् धन लाभ के लिये शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के वृक्ष पर लगाना चाहिए। यदि व्यवसाय में आकिस्मक व्यवधान एवं पतन की सम्भावना प्रबल हो रही हो, तो यह प्रयोग बहुत लाभदायक है।

अगर आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हों, तो मन्दिर में केले के दो पौधे (नर-मादा) लगा दें।

अगर आप अमावस्या के दिन पीला त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लहराता हुआ रहे, तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा। झंडा लगातार वहाँ लगा रहना चाहिए। यह अनिवार्य शर्त है।

देवी लक्ष्मी के चित्र के समक्ष नौ बत्तियों का घी का दीपक जलाए¡। उसी दिन धन लाभ होगा।

एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मोली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएँ। धन लाभ होगा।

पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएँ एवं पीछे मुड़कर न देखें। धन लाभ होगा।

प्रात:काल पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें और घर से बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाए¡। घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें।

एक हंडिया में सवा किलो हरी साबुत मूंग की दाल, दूसरी में सवा किलो डलिया वाला नमक भर दें। यह दोनों हंडिया घर में कहीं रख दें। यह क्रिया बुधवार को करें। घर में धन आना शुरू हो जाएगा।

प्रत्येक मंगलवार को 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चन्दन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें। `जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई´ 7 मंगलवार लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। अवश्य लाभ होगा।

अगर नौकरी में तरक्की चाहते हैं, तो 7 तरह का अनाज चिड़ियों को डालें।

ऋग्वेद (4/32/20-21) का प्रसिद्ध मन्त्र इस प्रकार है -`ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।´ (हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसारभर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं – उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो।)

निम्न मन्त्र को शुभमुहूर्त्त में प्रारम्भ करें। प्रतिदिन नियमपूर्वक 5 माला श्रद्धा से भगवान् श्रीकृष्ण का ध्यान करके, जप करता रहे -“ॐ क्लीं नन्दादि गोकुलत्राता दाता दारिद्र्यभंजन।सर्वमंगलदाता च सर्वकाम प्रदायक:। श्रीकृष्णाय नम: ॰

•भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष भरणी नक्षत्र के दिन चार


• घड़ों में पानी भरकर किसी एकान्त कमरे में रख दें। अगले दिन जिस घड़े का पानी कुछ कम हो उसे अन्न से भरकर प्रतिदिन विधिवत पूजन करते रहें। शेष घड़ों के पानी को घर, आँगन, खेत आदि में छिड़क दें। अन्नपूर्णा देवी सदैव प्रसन्न रहेगीं।

• किसी शुभ कार्य के जाने से पहले
• -रविवार को पान का पत्ता साथ रखकर जायें।सोमवार को दर्पण में अपना चेहरा देखकर जायें।मंगलवार को मिष्ठान खाकर जायें।बुधवार को हरे धनिये के पत्ते खाकर जायें।गुरूवार को सरसों के कुछ दाने मुख में डालकर जायें।शुक्रवार को दही खाकर जायें।शनिवार को अदरक और घी खाकर जाना चाहिये।

• किसी भी शनिवार की शाम को माह की दाल के दाने लें। उसपर थोड़ी सी दही और सिन्दूर लगाकर पीपल के वृक्ष के नीचे रख दें और बिना मुड़कर देखे वापिस आ जायें। सात शनिवार लगातार करने से आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली बनी रहेगी।

• गृह बाधा की शांति के लिए पश्चिमाभिमुख होकर क्क नमः शिवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूर्वक जप करें।

• आर्थिक परेशानियों से मुक्ति के लिए गणपति की नियमित आराधना करें। इसके अलावा श्वेत गुजा (चिरमी) को एक शीशी में गंगाजल में डाल कर प्रतिदिन श्री सूक्त का पाठ करें। बुधवार को विशेष रूप से प्रसाद चढ़ाकर पूजा करें।

आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए :
यदि आप हमेशा आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए आप 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें !

घर और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए :
इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें ! या एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें ! इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें ! यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें !

परेशानी से मुक्ति के लिए :
आज कल हर आदमी किसी न किसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें ! उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें ! धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी !

• घर में स्थिर लक्ष्मी के वास के लिए :
• चक्की पर गेहूं पिसवाने जाते समय तुलसी के ग्यारह पत्ते गेहूं में डाल दें। एक लाल थैली में केसर के २ पत्ते और थोड़े से गेहूं डालकर मंदिर में रखकर फिर इन्हें भी पिसवाने वाले गेंहू में मिला दें, धन में बरकत होगी और घर में स्थ्रि लक्ष्मी का वास होगा। आटा केवल सोमवार या शनिवार को पिसवाएं।

• पैतृक संपत्ति की प्राप्ति के लिए :
• घर में पूर्वजों के गड़े हुए धन की प्राप्ति हेतु किसी सोमवार को २१ श्वेत चितकवरी कौड़ियों को अच्छी तरह पीस लें और चूर्ण को उस स्थान पर रखें, जहां धन गड़े होने का अनुमान हो। धन गड़ा हुआ होगा, तो मिल जाएगा।

मकान
जिन व्यक्तियों को लाख प्रयत्न करने पर भी स्वयं का मकान न बन पा रहा हो, वे इस टोटके को अपनाएं। प्रत्येक शुक्रवार को नियम से किसी भूखे को भोजन कराएं और रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं। ऐसा नियमित करने से अपनी अचल सम्पति बनेगी या पैतृक सम्पति प्राप्त होगी। अगर सम्भव हो तो प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात् निम्न मंत्र का जाप करें। “ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति।।´´

यह प्रयोग नवरात्रि के दिनों में अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दिन प्रात:काल उठ कर पूजा स्थल में गंगाजल, कुआं जल, बोरिंग जल में से जो उपलब्ध हो, उसके छींटे लगाएं, फिर एक पाटे के ऊपर दुर्गा जी के चित्र के सामने, पूर्व में मुंह करते हुए उस पर 5 ग्राम सिक्के रखें। साबुत सिक्कों पर रोली, लाल चन्दन एवं एक गुलाब का पुष्प चढ़ाएं। माता से प्रार्थना करें। इन सबको पोटली बांध कर अपने गल्ले, संदूक या अलमारी में रख दें। यह टोटका हर 6 माह बाद पुन: दोहराएं।

सगे संबंधियों को दिया गया धन वापस प्राप्त करने हेतु :
किसी सगे संबंधी को धन दिया हो और वह वापस नहीं कर रहा हो, तो ऊपर बताई गई विधि की भांति 21 श्वेत चितकबरी कौड़ियों को पीस कर चूर्ण उसके दरबाजे के आगे बिखेर दें। यह क्रिया ४३ दिनों तक करते रहें, वह व्यक्ति आपका धन वापस कर देगा।

कर्ज

 व्यक्ति को ऋण मुक्त कराने में यह टोटका अवश्य सहायता करेगा : मंगलवार को शिव मन्दिर में जा कर शिवलिंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण मुक्तेश्वर महादेवाय नम:´´ मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं।

जिन व्यक्तियों को निरन्तर कर्ज घेरे रहते हैं, उन्हें प्रतिदिन “ऋणमोचक मंगल स्तोत्र´´ का पाठ करना चाहिये। यह पाठ शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू करना चाहिये। यदि प्रतिदिन किसी कारण न कर सकें, तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करना चाहिये।

सोमवार के दिन एक रूमाल, 5 गुलाब के फूल, 1 चांदी का पत्ता, थोड़े से चावल तथा थोड़ा सा गुड़ लें। फिर किसी विष्णुण्लक्ष्मी जी के मिन्दर में जा कर मूर्त्ति के सामने रूमाल रख कर शेष वस्तुओं को हाथ में लेकर 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करते हुए बारी-बारी इन वस्तुओं को उसमें डालते रहें। फिर इनको इकट्ठा कर के कहें की `मेरी परेशानियां दूर हो जाएं तथा मेरा कर्जा उतर जाए´। यह क्रिया आगामी 7 सोमवार और करें। कर्जा जल्दी उतर जाएगा तथा परेशानियां भी दूर हो जाएंगी।

सर्वप्रथम 5 लाल गुलाब के पूर्ण खिले हुए फूल लें। इसके पश्चात् डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा ले कर अपने सामने बिछा लें। इन पांचों गुलाब के फुलों को उसमें, गायत्री मंत्र 21 बार पढ़ते हुए बांध दें। अब स्वयं जा कर इन्हें जल में प्रवाहित कर दें। भगवान ने चाहा तो जल्दी ही कर्ज से मुक्ति प्राप्त होगी।

कर्ज-मुक्ति के लिये “गजेन्द्र-मोक्ष´´ स्तोत्र का प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व पाठ अमोघ उपाय है।

अगर निरन्तर कर्ज में फँसते जा रहे हों, तो श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह 6 शनिवार किया जाए, तो आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं।

अगर बढ़ाना हो व्यापार-व्यवसाय
अगर आपका व्यापार-व्यवसाय मंदा चल रहा है। किसी भी काम के शुरू करने के बाद उसमें ऐसा लाभ नहीं मिलता जैसा सोच रहे हैं, दुकान खुब सजाधजा कर रखने पर भी उसमें ग्राहक नहीं आते तो अब चिंता की बात नहीं है। हम आपको ऐसे कुछ सिद्ध टोटके बता रहे हैं जिससे थोड़े से प्रयास से आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे। लेकिन इन प्रयोगों को करने से पहले आपको मन में कुछ बातें ठाननी पड़ेंगी। एक, हमेशा सत्य बोलेंगे, दूसरों का अहित नहीं करेंगे और तीसरा हमेशा अपना श्रेष्ठतम परिणाम देंगे। जब आप कोई टोटका प्रयोग में ला रहे हों तो इसके बारे में किसी को बताए नहीं, इससे टोटके का प्रभाव कम हो जाता है। इन टोटकों को आजमाइए, लाभ जरूर मिलेगा।

शनिवार को पीपल के पेड़ से एक पत्ता तोड़ लाएं, उसे धूप-बत्ती दिखाकर अपनी दुकान की गादी जिस पर आप बैठते हैं, उसके नीचे रख दें। सात शनिवार तक लगातार ऐसा ही करें। जब गादी के नीचे सात पत्ते इकट्ठे हो जाएं तो उन्हें एक साथ किसी तालाब या कुएं में बहा दें। व्यवसाय चल निकलेगा।

किसी ऐसी दुकान जो काफी चलती हो वहां से लोहे की कोई कील या नट आदि शनिवार के दिन खरीदकर, मांगकर या उठाकर ले आएं। काली उड़द के 10-15 दानों के साथ उसे एक शीशी में रख लें। धूप-दीप से पूजाकर ग्राहकों की नजरों से बचाकर दुकान में रख लें। व्यवसाय खुब चलेगा।

शनिवार को सात हरी मिर्च और सात नींबू की माला बनाकर दुकान में ऐसे टांगें कि उस पर ग्राहक की नजर पड़े।

व्यवसाय

व्यापार स्थल पर किसी भी प्रकार की समस्या हो, तो वहां श्वेतार्क गणपति तथा एकाक्षी श्रीफल की स्थापना करें। फिर नियमित रूप से धूप, दीप आदि से पूजा करें तथा सप्ताह में एक बार मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद यथासंभव अधिक से अधिक लोगों को बांटें। भोग नित्य प्रति भी लगा सकते हैं।

टोटका दस-यदि आपको लगता है कि आपका कार्य किसी ने बांध दिया है और चाहकर भी उसमें बढ़ोतरी नहीं हो रही है व सब तरफ से मन्दा एवं बाधाओं का सामना करना पड़रहा है। ऐसे में आपको साबुत फिटकरी दुकान में खड़े होकर 31 बार वार दें और दुकान से बाहर निकल कर किसी चौराहे पर जाकर उत्तर दिशा में फेंक कर बिना पीछे देखें वापस आ जाएं। नजरदूर हो जाएगी और व्यापार फिर से पूर्व की भांति चलने लगेगा।

व्यापार व कारोबार में वृद्धि के लिए
एक नीबू लेकर उस पर चार लौंग गाड़ दें और उसे हाथ में रखकर निम्नलिखित मंत्र का २१ बार जप करें। जप के बाद नीबू को अपनी जेब में रख कर जिनसे कार्य होना हो, उनसे जाकर मिलें।

क्क श्री हनुमते नमः

इसके अतिरिक्त शनिवार को पीपल का एक पत्ता गंगा जल से धोकर हाथ में रख लें और गायत्री मंत्र का २१ बार जप करें। फिर उस पत्ते को धूप देकर अपने कैश बॉक्स में रख दें। यह क्रिया प्रत्येक शनिवार को करें और पत्ता बदल कर पहले के पत्ते को पीपल की जड़ में में रख दें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक करें, कारोबार में उन्नति होगी।

व्यापार बढाने के लिए

. शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन अपनी फैक्ट्री या दुकान के दरवाजे के दोनों तरफ बाहर की ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख दें ! ध्यान रहे ऐसा करते हुए आपको कोई देखे नही !

पूजा घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें !

शुक्र्वार की रात को सवा किलो काले चने भिगो दें ! दूसरे दिन शनिवार को उन्हें सरसों के तेल में बना लें ! उसके तीन हिस्से कर लें ! उसमें से एक हिस्सा घोडे या भैंसे को खिला दें ! दूसरा हिस्सा कुष्ठ रोगी को दे दें और तीसरा हिस्सा अपने सिर से घडी की सूई से उल्टे तरफ तीन बार वार कर किसी चौराहे पर रख दें ! यह प्रयोग 40 दिन तक करें ! कारोबार में लाभ होगा !

कारोबार में नुकसान हो रहा हो या कार्यक्षेत्र में झगडा हो रहा हो तो


यदि उपरोक्त स्थिति का सामना हो तो आप अपने वज़न के बराबर कच्चा कोयला लेकर जल प्रवाह कर दें ! अवश्य लाभ होगा !

पढाई में याददास्त बढाने का टोटका

याददास्त कोई हौवा नही है,कि याद होता नही है,और याद होता नही है तो पढाई बेकार हो जाती है,परीक्षा में परिणाम नकारात्मक आता है,और दिमाग का एक कौना मानने लगता है कि यह पढाई बेकार है,इसे छोड कर कोई जीवन यापन का काम कर लेना चाहिये,और इस बेकार के झमेले को छोड देना चाहिये,लेकिन नही अगर वास्तव मे आपको पढने का चाव है और आप चाहते है कि आपका परिणाम भी उन्ही लोगों की तरह से आये जैसे कि ब्रिलियेंन्ट बच्चों का आता है,तो इस टोटके को अंजवा लीजिये।

शाम को खाना खा कर बायीं करवट ढाई घंटे के लिये लेट जाइये,फ़िर ढाई घंटे दाहिनी करवट लेट जाइये,और ढाई घंटे उठकर सीधे बैठ कर पढना चालू कर दीजिये,यह क्रम लगातार चालू रखिये,देखिये कि जो टापिक कभी याद नही होते थे,इतनी अच्छी तरह से याद हो जायेंगे कि खुद को विश्वास ही नहीं होगा।

अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो 

गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें !

. हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें !

नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए :

पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें ! उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें ! ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें ! उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो ! एक से ज्यादा डलियां नहीं होनी चाहिए !

ट्रांसफ़र करवाने का उपाय

कार्य स्थान पर जाने के बाद पैर धोकर अपने स्थान पर बैठना चाहिये,पिसी हल्दी को बहते पानी में बहाना चाहिये।

यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो :

कुएं में दूध डालें! उस कुएं में पानी होना चहिए !

काला कम्बल किसी गरीब को दान दें !

6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों !

खाना पचाने का टोटका

अधिकतर बैठे रहने से या खाना खाने के बाद मेहनत नही करने से भोजन पच नही पाता है और पेट में दर्द या पेट फ़ूलने लगता है,खाना खाने के बाद तुरंत बायीं करवट लेट जाइये,खाना आधा घन्टे में अपनी जगह बनाकर पचने लगेगा और अपान वायु बाहर निकल जायेगी।

ईश्वर का दर्शन करने के लिये टोटका

शाम को एकान्त कमरे में जमीन पर उत्तर की तरफ़ मुंह करके पालथी मारकर बैठ जाइये,दोनों आंखों को बन्द करने के बाद आंखों की द्रिष्टि को नाक के ऊपर वाले हिस्से में ले जाने की कोशिश करिये,धीरे धीरे रोजाना दस से बीस मिनट का प्रयोग करिये,लेकिन इस काम को करने के बीच में किसी भी प्रकार के विचार दिमाग में नही लाने चाहिये,आपको आपके इष्ट का दर्शन सुगमता से हो जायेगा।अपने पूर्वजों की नियमित पूजा करें। प्रति माह अमावस्या को प्रातःकाल ५ गायों को फल खिलाएं।

मुकदमें में विजय पाने के लिए :

यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट/कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !

प्रेम विवाह में सफल होने के लिए :

यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :

शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !

नौकर न टिके या परेशान करे तो :

हर मंगलवार को बदाना (मीठी बूंदी) का प्रशाद लेकर मंदिर में चढा कर लडकियों में बांट दें ! ऐसा आप चार मंगलवार करें !

ऊपरी हवा पहचान और निदान

प्रायः सभी धर्मग्रंथों में ऊपरी हवाओं, नजर दोषों आदि का उल्लेख है। कुछ ग्रंथों में इन्हें बुरी आत्मा कहा गया है तो कुछ अन्य में भूत-प्रेत और जिन्न।

यहां ज्योतिष के आधार पर नजर दोष का विश्लेषण प्रस्तुत है।

ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार गुरु पितृदोष, शनि यमदोष, चंद्र व शुक्र जल देवी दोष, राहु सर्प व प्रेत दोष, मंगल शाकिनी दोष, सूर्य देव दोष एवं बुध कुल देवता दोष का कारक होता है। राहु, शनि व केतु ऊपरी हवाओं के कारक ग्रह हैं। जब किसी व्यक्ति के लग्न (शरीर), गुरु (ज्ञान), त्रिकोण (धर्म भाव) तथा द्विस्वभाव राशियों पर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, तो उस पर ऊपरी हवा की संभावना होती है।

लक्षण

नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति का शरीर कंपकंपाता रहता है। वह अक्सर ज्वर, मिरगी आदि से ग्रस्त रहता है।

कब और किन स्थितियों में डालती हैं ऊपरी हवाएं किसी व्यक्ति पर अपना प्रभाव?

जब कोई व्यक्ति दूध पीकर या कोई सफेद मिठाई खाकर किसी चौराहे पर जाता है, तब ऊपरी हवाएं उस पर अपना प्रभाव डालती हैं। गंदी जगहों पर इन हवाओं का वास होता है, इसीलिए ऐसी जगहों पर जाने वाले लोगों को ये हवाएं अपने प्रभाव में ले लेती हैं। इन हवाओं का प्रभाव रजस्वला स्त्रियों पर भी पड़ता है। कुएं, बावड़ी आदि पर भी इनका वास होता है। विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों के अवसर पर ये हवाएं सक्रिय होती हैं। इसके अतिरिक्त रात और दिन के १२ बजे दरवाजे की चौखट पर इनका प्रभाव होता है।

दूध व सफेद मिठाई चंद्र के द्योतक हैं। चौराहा राहु का द्योतक है। चंद्र राहु का शत्रु है। अतः जब कोई व्यक्ति उक्त चीजों का सेवन कर चौराहे पर जाता है, तो उस पर ऊपरी हवाओं के प्रभाव की संभावना रहती है।

कोई स्त्री जब रजस्वला होती है, तब उसका चंद्र व मंगल दोनों दुर्बल हो जाते हैं। ये दोनों राहु व शनि के शत्रु हैं। रजस्वलावस्था में स्त्री अशुद्ध होती है और अशुद्धता राहु की द्योतक है। ऐसे में उस स्त्री पर ऊपरी हवाओं के प्रकोप की संभावना रहती है।

कुएं एवं बावड़ी का अर्थ होता है जल स्थान और चंद्र जल स्थान का कारक है। चंद्र राहु का शत्रु है, इसीलिए ऐसे स्थानों पर ऊपरी हवाओं का प्रभाव होता है।

जब किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी भाव विशेष पर सूर्य, गुरु, चंद्र व मंगल का प्रभाव होता है, तब उसके घर विवाह व मांगलिक कार्य के अवसर आते हैं। ये सभी ग्रह शनि व राहु के शत्रु हैं, अतः मांगलिक अवसरों पर ऊपरी हवाएं व्यक्ति को परेशान कर सकती हैं।

दिन व रात के १२ बजे सूर्य व चंद्र अपने पूर्ण बल की अवस्था में होते हैं। शनि व राहु इनके शत्रु हैं, अतः इन्हें प्रभावित करते हैं। दरवाजे की चौखट राहु की द्योतक है। अतः जब राहु क्षेत्र में चंद्र या सूर्य को बल मिलता है, तो ऊपरी हवा सक्रिय होने की संभावना प्रबल होती है।

मनुष्य की दायीं आंख पर सूर्य का और बायीं पर चंद्र का नियंत्रण होता है। इसलिए ऊपरी हवाओं का प्रभाव सबसे पहले आंखों पर ही पड़ता है।

यहां ऊपरी हवाओं से संबद्ध ग्रहों, भावों आदि का विश्लेषण प्रस्तुत है।

राहु-केतु : जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, शनिवत राहु ऊपरी हवाओं का कारक है। यह प्रेत बाधा का सबसे प्रमुख कारक है। इस ग्रह का प्रभाव जब भी मन, शरीर, ज्ञान, धर्म, आत्मा आदि के भावों पर होता है, तो ऊपरी हवाएं सक्रिय होती हैं।

शनि : इसे भी राहु के समान माना गया है। यह भी उक्त भावों से संबंध बनाकर भूत-प्रेत पीड़ा देता है।

चंद्र : मन पर जब पाप ग्रहों राहु और शनि का दूषित प्रभाव होता है और अशुभ भाव स्थित चंद्र बलहीन होता है, तब व्यक्ति भूत-प्रेत पीड़ा से ग्रस्त होता है।

गुरु : गुरु सात्विक ग्रह है। शनि, राहु या केतु से संबंध होने पर यह दुर्बल हो जाता है। इसकी दुर्बल स्थिति में ऊपरी हवाएं जातक पर अपना प्रभाव डालती हैं।

लग्न : यह जातक के शरीर का प्रतिनिधित्व करता है। इसका संबंध ऊपरी हवाओं के कारक राहु, शनि या केतु से हो या इस पर मंगल का पाप प्रभाव प्रबल हो, तो व्यक्ति के ऊपरी हवाओं से ग्रस्त होने की संभावना बनती है।

पंचम : पंचम भाव से पूर्व जन्म के संचित कर्मों का विचार किया जाता है। इस भाव पर जब ऊपरी हवाओं के कारक पाप ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, तो इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति के पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों में कमी है। अच्छे कर्म अल्प हों, तो प्रेत बाधा योग बनता है।

अष्टम : इस भाव को गूढ़ विद्याओं व आयु तथा मृत्यु का भाव भी कहते हैं। इसमें चंद्र और पापग्रह या ऊपरी हवाओं के कारक ग्रह का संबंध प्रेत बाधा को जन्म देता है।

नवम : यह धर्म भाव है। पूर्व जन्म में पुण्य कर्मों में कमी रही हो, तो यह भाव दुर्बल होता है।

राशियां : जन्म कुंडली में द्विस्वभाव राशियों मिथुन, कन्या और मीन पर वायु तत्व ग्रहों का प्रभाव हो, तो प्रे्रत बाधा होती है।

वार : शनिवार, मंगलवार, रविवार को प्रेत बाधा की संभावनाएं प्रबल होती हैं।

तिथि : रिक्ता तिथि एवं अमावस्या प्रेत बाधा को जन्म देती है।

नक्षत्र : वायु संज्ञक नक्षत्र प्रेत बाधा के कारक होते हैं।

योग : विष्कुंभ, व्याघात, ऐंद्र, व्यतिपात, शूल आदि योग प्रेत बाधा को जन्म देते हैं।

करण : विष्टि, किस्तुन और नाग करणों के कारण व्यक्ति प्रेत बाधा से ग्रस्त होता है।

दशाएं : मुख्यतः शनि, राहु, अष्टमेश व राहु तथा केतु से पूर्णतः प्रभावित ग्रहों की दशांतर्दशा में व्यक्ति के भूत-प्रेत बाधाओं से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।

युति

किसी स्त्री के सप्तम भाव में शनि, मंगल और राहु या केतु की युति हो, तो उसके पिशाच पीड़ा से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।

गुरु नीच राशि अथवा नीच राशि के नवांश में हो, या राहु से युत हो और उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो, तो जातक की चांडाल प्रवृत्ति होती है।

पंचम भाव में शनि का संबंध बने तो व्यक्ति प्रेत एवं क्षुद्र देवियों की भक्ति करता है।

ऊपरी हवाओं के कुछ अन्य मुख्य ज्योतिषीय योग

• यदि लग्न, पंचम, षष्ठ, अष्टम या नवम भाव पर राहु, केतु, शनि, मंगल, क्षीण चंद्र आदि का प्रभाव हो, तो जातक के ऊपरी हवाओं से ग्रस्त होने की संभावना रहती है। यदि उक्त

ग्रहों का परस्पर संबंध हो, तो जातक प्रेत आदि से पीड़ित हो सकता है।

• यदि पंचम भाव में सूर्य और शनि की युति हो, सप्तम में क्षीण चंद्र हो तथा द्वादश में गुरु हो, तो इस स्थिति में भी व्यक्ति प्रेत बाधा का शिकार होता है।

• यदि लग्न पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो, लग्न निर्बल हो, लग्नेश पाप स्थान में हो अथवा राहु या केतु से युत हो, तो जातक जादू-टोने से पीड़ित होता है।

• लग्न में राहु के साथ चंद्र हो तथा त्रिकोण में मंगल, शनि अथवा कोई अन्य क्रूर ग्रह हो, तो जातक भूत-प्रेत आदि से पीड़ित होता है।

• यदि षष्ठेश लग्न में हो, लग्न निर्बल हो और उस पर मंगल की दृष्टि हो, तो जातक जादू-टोने से पीड़ित होता है। यदि लग्न पर किसी अन्य शुभ ग्रह की दृष्टि न हो, तो जादू-टोने से पीड़ित होने की संभावना प्रबल होती है। षष्ठेश के सप्तम या दशम में स्थित होने पर भी जातक जादू-टोने से पीड़ित हो सकता है।

• यदि लग्न में राहु, पंचम में शनि तथा अष्टम में गुरु हो, तो जातक प्रेत शाप से पीड़ित होता है।

ऊपरी हवाओं के सरल उपाय

ऊपरी हवाओं से मुक्ति हेतु शास्त्रों में अनेक उपाय बताए गए हैं। अथर्ववेद में इस हेतु कई मंत्रों व स्तुतियों का उल्लेख है। आयुर्वेद में भी इन हवाओं से मुक्ति के उपायों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहां कुछ प्रमुख सरल एवं प्रभावशाली उपायों का विवरण प्रस्तुत है।

• ऊपरी हवाओं से मुक्ति हेतु हनुमान चालीसा का पाठ और गायत्री का जप तथा हवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अग्नि तथा लाल मिर्ची जलानी चाहिए।

• रोज सूर्यास्त के समय एक साफ-सुथरे बर्तन में गाय का आधा किलो कच्चा दूध लेकर उसमें शुद्ध शहद की नौ बूंदें मिला लें। फिर स्नान करके, शुद्ध वस्त्र पहनकर मकान की छत से नीचे तक प्रत्येक कमरे, जीने, गैलरी आदि में उस दूध के छींटे देते हुए द्वार तक आएं और बचे हुए दूध को मुख्य द्वार के बाहर गिरा दें। क्रिया के दौरान इष्टदेव का स्मरण करते रहें। यह क्रिया इक्कीस दिन तक नियमित रूप से करें, घर पर प्रभावी ऊपरी हवाएं दूर हो जाएंगी।

• रविवार को बांह पर काले धतूरे की जड़ बांधें, ऊपरी हवाओं से मुक्ति मिलेगी।

• लहसुन के रस में हींग घोलकर आंख में डालने या सुंघाने से पीड़ित व्यक्ति को ऊपरी हवाओं से मुक्ति मिल जाती है।

• ऊपरी बाधाओं से मुक्ति हेतु निम्नोक्त मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए।

• ” ओम नमो भगवते रुद्राय नमः कोशेश्वस्य नमो ज्योति पंतगाय नमो रुद्राय नमः सिद्धि स्वाहा।”

• घर के मुख्य द्वार के समीप श्वेतार्क का पौधा लगाएं, घर ऊपरी हवाओं से मुक्त रहेगा।

• उपले या लकड़ी के कोयले जलाकर उसमें धूनी की विशिष्ट वस्तुएं डालें और उससे उत्पन्न होने वाला धुआं पीड़ित व्यक्त्ि को सुंघाएं। यह क्रिया किसी ऐसे व्यक्ति से करवाएं जो अनुभवी हो और जिसमें पर्याप्त आत्मबल हो।

• प्रातः काल बीज मंत्र ÷क्लीं’ का उच्चारण करते हुए काली मिर्च के नौ दाने सिर पर से घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दें, ऊपरी बला दूर हो जाएगी।

• रविवार को स्नानादि से निवृत्त होकर काले कपड़े की छोटी थैली में तुलसी के आठ पत्ते, आठ काली मिर्च और सहदेई की जड़ बांधकर गले मंक धारण करें, नजर दोष बाधा से मुक्ति मिलेगी।

• निम्नोक्त मंत्र का 108 बार जप करके सरसों का तेल अभिमंत्रित कर लें और उससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर मालिश करें, व्यकित पीड़ामुक्त हो जाएगा।

• मंत्र : ओम नमो काली कपाला देहि देहि स्वाहा।

• ऊपरी हवाओं के शक्तिषाली होने की स्थिति में शाबर मंत्रों का जप एवं प्रयोग किया जा सकता है। प्रयोग करने के पूर्व इन मंत्रों का दीपावली की रात को अथवा होलिका दहन की रात को जलती हुई होली के सामने या फिर श्मषान में 108 बार जप कर इन्हें सिद्ध कर लेना चाहिए। यहां यह उल्लेख कर देना आवष्यक है कि इन्हें सिद्ध करने के इच्छुक साधकों में पर्याप्त आत्मबल होना चाहिए, अन्यथा हानि हो सकती है।

• निम्न मंत्र से थोड़ा-सा जीरा ७ बार अभिमंत्रित कर रोगी के शरीर से स्पर्श कराएं और उसे अग्नि में डाल दें। रोगी को इस स्थिति में बैठाना चाहिए कि उसका धूंआ उसके मुख के सामने आये। इस प्रयोग से भूत-प्रेत बाधा की निवृत्ति होती है।

• मंत्र :

• जीरा जीरा महाजीरा जिरिया चलाय। जिरिया की शक्ति से फलानी चलि जाय॥ जीये तो रमटले मोहे तो मशान टले। हमरे जीरा मंत्र से अमुख अंग भूत चले॥ जाय हुक्म पाडुआ पीर की दोहाई॥

• एक मुट्ठी धूल को निम्नोक्त मंत्र से ३ बार अभिमंत्रित करें और नजर दोष से ग्रस्त व्यक्ति पर फेंकें, व्यक्ति को दोष से मुक्ति मिलेगी।

• मंत्र :

• तह कुठठ इलाही का बान। कूडूम की पत्ती चिरावन। भाग भाग अमुक अंक से भूत। मारुं धुलावन कृष्ण वरपूत। आज्ञा कामरु कामाख्या। हारि दासीचण्डदोहाई।

• थोड़ी सी हल्दी को ३ बार निम्नलिखित मंत्र से अभिमंत्रित करके अग्नि में इस तरह छोड़ें कि उसका धुआं रोगी के मुख की ओर जाए। इसे हल्दी बाण मंत्र कहते हैं।

• हल्दी गीरी बाण बाण को लिया हाथ उठाय। हल्दी बाण से नीलगिरी पहाड़ थहराय॥ यह सब देख बोलत बीर हनुमान। डाइन योगिनी भूत प्रेत मुंड काटौ तान॥ आज्ञा कामरु कामाक्षा माई। आज्ञा हाड़ि की चंडी की दोहाई॥

• जौ, तिल, सफेद सरसों, गेहूं, चावल, मूंग, चना, कुष, शमी, आम्र, डुंबरक पत्ते और अषोक, धतूरे, दूर्वा, आक व ओगां की जड़ को मिला लें और उसमें दूध, घी, मधु और गोमूत्र मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। फिर संध्या काल में हवन करें और निम्न मंत्रों का १०८ बार जप कर इस मिश्रण से १०८ आहुतियां दें।

• मंत्र : ओम नमः भवे भास्कराय आस्माक अमुक सर्व ग्रहणं पीड़ा नाशनं कु रु-कुरु स्वाहा



जहरीले जानवर के काटने का टोटका

अधिकतर जाने अन्जाने में जहरीला जानवर जैसे बर्र ततैया बिच्छू मधुमक्खी आदि अपना डंक मार देते है,दर्द के मारे छटपटाहट होने लगती है,और उस समय कोई दवा नही मिलपाती है तो और भी हालत खराब हो जाती है,इसका एक अनुभूत टोटका है कि जिस स्थान पर काटा है,उसके उल्टे स्थान को पानी धो डालिये जहर खत्म हो जायेगा,जैसे दाहिने हाथ की उंगली में डंक मारा है,तो बायें हाथ की उसी उंगली को पानी से धो डालिये,बायें हिस्से में डंक मारा है तो उसी स्थान को दाहिने भाग में पानी से धो डालिये।

सांप के विष से बचाव हेतु

• चैत्र मास की मेष संक्राति के दिन मसूर की दाल एवं नीम की पत्तियां खाएं। सर्प काट भी लेगा तो विष नहीं चढ़ेगा। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन प्रातः काल नीम की पत्तियां चबाकर पानी पीएं और घूमने जाएं, शरीर में विष रोधी क्षमता बढ़ेगी।

परम्‌॥ निवारण के प्रमुख स्थल

• बाला जी (मेहंदीपुर राजस्थान) – भूत प्रेत बाधा निवारण

• हुसैन टेकरी (राजस्थान) – भूत प्रेत बाधा निवारण

• पीतांबरा शक्ति पीठ (ततिया) – शत्रु विनाश

• कात्यायनी शक्ति पीठ (वृंदावन) – कुंआरी कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए

• शुचींद्रम शक्तिपीठ (कन्याकुमारी) – कुंआरी कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए

• गुह्येश्वरी देवी (नेपाल) – रोग मुक्ति

• महाकालेश्वर (उज्जै न) – प्राण रक्षा हेतु

कुछ उपयोगी टोटके

छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत्‌ जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत्‌ जानकारी दी जा रही है…

टोटका

पुरुखों के पास केवल अनुभूत उपाय थे,जिनके द्वारा वे रोग को तुरत दूर कर देते थे,जैसे किसी सुनसान स्थान या पेड के पास जाने पर वहां पर लगी बर्र या ततैया के झुंड के द्वारा आक्रमण करने पर व्यक्ति सहन शील होता है और विष को झेलने की हिम्मत होती है तो वह बच जाता है,अन्यथा जहरीला डंक व्यक्ति के प्राण ही लेलेता है,लेकिन इसी समय एक टोटका काम आता है,कि दाहिने हाथ के अंगूठे में अगर ततैया ने डंक मार दिया है तो फ़ौरन बायें हाथ के अंगूठे को पानी से धो डालिये,विष का पता ही नही चलेगा कि ततैया या बर्र ने काटा भी है या नहीं,इसी बात के लिये जब तक डाक्टर के पास जाते,बर्र या ततैया के डंक को निकलवाते विष रोधी इन्जेक्सन लगवाते,तो विष का दुख तो दूर हो जाता,लेकिन उस इन्जेक्सन का कुप्रभाव दिमाग की नशों को प्रभाव हीन भी कर सकता था।

नोट :

1. लाल किताब के सभी उपाय दिन में ही करने चाहिए ! अर्थात सूरज उगने के बाद व सूरज डूबने से पहले !

2. सच्चाई व शुद्ध भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए !

3. किसी भी उपाय के बीच मांस, मदिरा, झूठे वचन, परस्त्री गमन की विशेष मनाही है !

4. सभी उपाय पूरे विश्वास व श्रद्धा से करें, लाभ अवश्य होगा !

5. एक दिन में एक ही उपाय करना चाहिए ! यदि एक से ज्यादा उपाय करने हों तो छोटा उपाय पहले करें ! एक उपाय के दौरान दूसरे उपाय का कोई सामान भी घर में न रखें !

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