Thursday 11 August 2016

कृत्रिम पैरों से चलती है ये हथिनी, विस्फोट में खो दिया था पैर


तकनीक कई बार कितनी उपयोगी साबित होती है। इसका ताजा उदाहरण एक बार फिर हमारे सामने आया है। वह भी एक हथिनी के रूप में। इस बार इस तकनीक के कमाल ने पैर खो चुके जानवरों का फिर से चलना-फिरना संभव किया है। ऐसा हुआ है मोशा नाम की हथिनी के साथ। मोशा को प्रोस्थेटिक (कृत्रिम) पैर लगाया गया है और हाल ही में इसे 9वीं बार यह पैर लगाया गया है। एशियाई हथिनी मोशा ने 7 महीने की उम्र में बारूदी सुरंग विस्फोट में अपना अगला दाहिना पैर खो दिया था।

फ्रैंड्स ऑफ एशियन एलिफैंट फाउंडेशन की तरफ से मनुष्यों और जानवरों के प्रोस्थेटिक पैर का डिजाइन तैयार करने वाले डॉ. थ्रेडचाई जिवाकेट ने मोशा को नया पैर दिया है। इस पैर का वजन 15 किग्रा. है। यह थर्मोप्लॉस्टिक, स्टील व इलास्टोमीटर से बना है। वजन और आकार बढऩे के कारण यह पैर बदले गए हैं।

वो चलना चाहती थी

जिवाकेट बताते हैं कि उन्होनें मोशा को हवा में सूंड़ लहराते देखा। जैसे वह अपने पैरों पर चलना चाहती हो। उसी समय उन्होनें मोशा के लिए प्रोस्थेटिक पैर बनाने का निर्णय किया। बढ़ती उम्र और शरीर के वजन के आधार पर इस कृत्रिम पैर को भी बदलना पड़ता है। 6 सालों में इसे 9 बार बदला गया है। डॉक्टर अब भी पहले से अधिक टिकाऊ और आरामदायक कृत्रिम पैर बनाने के प्रयास में लगे हैं।

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